रविवार, 4 मार्च 2018

मैली गंगा..

वाह रे राम,
गोद में अबोध लिए तेरी गंगा,
अब भी मैली ही रही..
नजरों में लोभ लिए ये चंपा,
चिकनी चमेली ही रही..

अक्षिणी

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