गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

आम आदमी

ईमानदार आम आदमी
हर रोज सुबह से शाम
दुश्वारियों के दौर से गुजरता
मजबूरियों की आह भरता है,
लाचारियों के आंसू पोंछता है,
चढ़ाया जाता है हर बार
धनिए के झाड़ पर और
फिर छला जाता है
वतनपरस्ती के नाम पर
शहीद हो जाता है,
एक बार फिर ....

अक्षिणी

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