सोमवार, 27 मार्च 2017

भीड़ में तनहा हूँ यारों..

भीड़ में तनहा हूँ यारों, टूटता लमहा हूँ यारों
हर तरफ रोशन हैं रातें, डूबता तारा हूँ यारों

जीत के मेले सजे हैं, बारहा हारा हूँ यारों
टूटते सारे किनारे ,सूखता दरिया हूँ यारों

रौनकें रूठी चली यों, खामखां हैरां हूँ यारों
खो गए साथी सवेरे, शाम का मजमा हूँ यारों

हर सूँ खिलती है सदाऐं,आतिशी सेहरां हूँ यारों
मरने की हिम्मत नहीं है, इसलिए ज़िंदा हूँ यारों

धूप से रुसवा नहीं हूँ,सायों का मारा हूँ यारों
गैरों से शिकवा नहीं है,अपनों से हारा हूँ यारों

अक्षिणी

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