मंगलवार, 10 जनवरी 2017

बस साँस भर ..

तितलियाँ हैं ये, इन्हैं छू लेने दो सुमन हर,
रश्मियाँ हैं ये, निखर जाने दो क्षितिज पर,
रेशमी उंगलियों से उकेरती हैं आकाश नये,
लड़कियां हैं ये, जी लेने दो इन्हैं बस साँस भर.

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